ख़ूबसूरती आज भी उसकी आंखों मे सजती है मेरी ख़ूबसूरती आज भी उसकी आंखों मे सजती है मेरी
उनमें जो बसती है जान हमारी ताकि हमेशा वह महफूज रहे उनमें जो बसती है जान हमारी ताकि हमेशा वह महफूज रहे
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
झट पट दौड़ लगाती हो ममता अपनी लुटाती हो ओ मेरी प्यारी माँ झट पट दौड़ लगाती हो ममता अपनी लुटाती हो ओ मेरी प्यारी माँ
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।
कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। मधुरिम मधुरिम कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। म...